लखनऊ उत्तर प्रदेश: योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता में उत्तर प्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधारना हमेशा से ही रहा है। सरकारी स्कूलों की स्थिति बेहतर हो, कोई बच्चा स्कूल जाने से छूट न जाए इसके लिए स्कूल चलो अभियान पर जोर दिया गया। अब सीएम योगी ने इसी का नया रूप रोड टू स्कूल प्रोजेक्ट लॉन्च किया है। निपुण भारत मिशन के अंतर्गत इसे शुरू किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की योजना है। उत्तर प्रदेश में हर वर्ग के व्यक्ति को अच्छी शिक्षा मिले और प्रदेश का विकास हो।
गोरखपुर के चरगांवा ब्लॉक से सीएम योगी ने इसकी शुरुआत की। इस अवसर पर सीएम योगी ने कहा इस प्रोजेक्ट के तहत रिसोर्स पर्सन और उनके ऊपर की टीम एक पिरामिड के रूप में बच्चों को स्कूल लाने, उनकी उपस्थित बनाए रखने और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल और कला कौशल की मॉनिटरिंग करती है। रोड टू स्कूल प्रोजेक्ट में बच्चों को उदाहरण देकर सिखाने पर जोर है। बच्चों के शत प्रतिशत नामांकन, कक्षा में उनकी नियमित उपस्थिति और आगे की कक्षाओं में प्रवेश का प्रयास है। बेसिक शिक्षा विभाग ने एक निजी कंपनी के साथ मिलकर इसे शुरू किया है। प्रोजेक्ट के पहले चरण में चरगांवा ब्लॉक के सभी 78 परिषदीय विद्यालयों (प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कम्पोजिट) को शामिल किया गया है। इससें 17,781 विद्यार्थी लाभान्वित होंगे।
दूसरे चरण में गोरखपुर के भटहट ब्लॉक के सभी 90 परिषदीय विद्यालयों के 16,434 छात्रों को फायदा होगा। रोड टू स्कूल प्रोजेक्ट में परिषदीय विद्यालयों में बच्चों का नामांकन बढ़ाने, ड्राप आउट रोकने, बच्चों में पठन-पाठन के प्रति अभिरुचि बढ़ाने, उनके स्वास्थ्य देखभाल और उन्हें खेल एवं कौशल के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। स्कूली शिक्षा को मजबूत करने के लिए ऑपरेशन कायाकल्प के तहत स्कूलों को सुदृढ़ बनाया गया है। यहां शानदार फर्नीचर व अन्य सुविधाओं के साथ स्मार्ट क्लास बनाए गए हैं। बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए यूनिफॉर्म, कॉपी किताब, बैग, जूता मोजा आदि के लिए सरकार हर बच्चे के अभिभावक को 1200 रुपये की धनराशि देती है।
2017 के पहले ड्रॉपआउट थी बड़ी समस्या- सीएम
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए सीएम योगी ने पिछले सात सालों में प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में आए बदलाव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 2017 के पहले ड्रापआउट एक बड़ी समस्या थी। बड़ी संख्या में नामांकित बच्चे भी स्कूल नहीं आते थे। कई बच्चे कक्षा पांच के बाद छह में और कक्षा आठ के बाद नौ में दाखिला नहीं लेते थे। स्कूल चलो अभियान के तहत शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका के माध्यम से इसमें कमी आई है। परिणाम है कि 2017 के बाद यूपी के परिषदीय विद्यालयों में 50 से 60 लाख नए बच्चे बढ़े हैं। बीच के दो साल कोरोना से प्रभावित होने के बावजूद इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 1.34 करोड़ से बढ़कर 1.92 करोड़ हो गई है।