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शादीशुदा महिला ने प्रेमी पर लगाया दुष्कर्म का केस, कोर्ट ने दिया ऐसा निर्णय कि पुरुष को मिली राहत

कोर्ट ने कहा कि जब महिला पहले से शादीशुदा थी, तब किसी दूसरे से शादी का वादा कानूनी रूप से वैध नहीं हो सकता। महिला ने खुद अपनी मर्जी से युवक के साथ लगभग एक साल तक रिश्ता रखा और दो बार होटल में भी गई।

डिजिटल डेस्क: शादीशुदा महिला ने एक युवक से पहले तो शारीरिक संबंध बनाए और उसके बाद जब। रिश्ता आगे नहीं चल सका तो युवक पर दुष्कर्म का मामला दर्ज करा दिया। महिला एक चार साल के बच्चे की मां है, और शादीशुदा होने के बावजूद उसने एक पराए युवक से शादी का वादा किया। महिला का आरोप था कि युवक ने उससे शादी करने का वादा किया और करीब एक साल तक शारीरिक संबंध बनाए। युवक ने उसे भरोसा देते हुए कहा कि जब उसका तलाक हो जाएगा वो उससे शादी कर लेगा। जब शादी नहीं हुई, तो महिला ने युवक पर केस दर्ज किया।

सुप्रीम कोर्ट ने महिला की बात को सही नहीं माना। कोर्ट ने कहा कि जब महिला पहले से शादीशुदा थी, तब किसी दूसरे से शादी का वादा कानूनी रूप से वैध नहीं हो सकता। महिला ने खुद अपनी मर्जी से युवक के साथ लगभग एक साल तक रिश्ता रखा और दो बार होटल में भी गई। इसलिए कोर्ट ने इसे रेप नहीं माना। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय उन युवकों के लिए एक राहत भरी खबर है जो इस तरह से अपनी मर्जी से शायद संबंध बनाने वाली महिलाओं के द्वारा झूठे दुष्कर्म के मामले में फंसा दिए जाते हैं। 

महिला ने जाओ इस युवक पर दुष्कर्म का। मामला दर्ज कराया था तो उसका दावा था कि उसने 2022 के जून से 2023 के जुलाई तक युवक से संबंध बनाए, जबकि उसका तलाक दिसंबर 2022 में हुआ था। इसका मतलब ये था कि वह संबंध शुरू होने तक शादीशुदा थी। कोर्ट ने पूछा कि जब महिला शादीशुदा थी, तब उसने दूसरे से शादी की उम्मीद कैसे रखी? क्योंकि हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार एक पुरुष शादीशुदा होते हुए एक महिला शादीशुदा होते हुए दूसरी शादी नहीं कर सकते यह कॉलेज कानूनन मान्य नहीं है। 

युवक ने बताया कि पढ़ाई पूरी कर गांव लौटने के बाद महिला का परिवार उससे नाराज हो गया। इसके बाद महिला ने केस दर्ज कराया। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को भी ध्यान में रखा और कहा कि यह केस गुस्से या बदले की भावना से भी दर्ज किया गया हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि अगर दो लोगों के बीच रिश्ता सहमति से बना था और बाद में वह रिश्ता खराब हो गया, तो उसे रेप नहीं कहा जा सकता। ऐसे मामलों में कानून का गलत इस्तेमाल हो सकता है और बिना पुख्ता सबूत पुलिस या अदालत में मामला नहीं चलाना चाहिए।

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