Tuesday, July 1, 2025
30.9 C
Delhi
Tuesday, July 1, 2025
HomeBig Newsमन्त्रीयों के बंगले के लिए नहीं काटे जाएंगे 29 हजार पेड़, ऐसे...

मन्त्रीयों के बंगले के लिए नहीं काटे जाएंगे 29 हजार पेड़, ऐसे हुई पर्यावरण प्रेमियों की जीत

 

देश विदेश के पर्यावरण प्रेमियों और मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के प्रत्येक नागरिक के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है।  तुलसी नगर एवं शिवाजी नगर के 29000 पेड़ों को कटने से बचने के लिए जो संघर्ष कर रहा था, वह सफल हुआ है। डॉ मोहन यादव  सरकार के नगरीय प्रशासन मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय ने इस बारे में बयान जारी कर दिया है। उल्लेखनीय है कि पिछले एक सप्ताह से हर रोज हजारों लोग पेड़ों को कटने से बचने और सरकार के फैसले का विरोध करने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे। भोपाल में अब 29 हजार हरे भरे पेड़ नहीं काटे जाएंगे। इसे लेकर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी है। ये पेड़ काटकर विधायक और मंत्रियों के बंगले बनने थे। प्रोजेक्ट के खिलाफ 12 जून से लगातार प्रदर्शन हो रहा है।  

इसके बाद आज सोमवार को मध्य प्रदेश सरकार के नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बहन जारी किया है कि, नये भोपाल के पुनर्घनत्वीकरण योजना के पर्यावरण संरक्षण एवं क्षेत्र में विद्यमान वृक्षों को देखते हुए प्रस्तुत प्रस्ताव को संपूर्ण विचारोपरांत अस्वीकृत कर अन्य वैकल्पिक स्थानों के परीक्षण के निर्देश दिये गये है। नवीन प्रस्ताव हेतु प्रारंभिक स्तर पर भी नागरिकों एवं जनप्रतिनिधियों से विचार विमर्श भी किया जाएगा। 

मध्य प्रदेश सरकार ने राजधानी भोपाल में मंत्रियों और विधायकों के लिए नए बंगले बनाने हेतु तुलसी नगर एवं शिवाजी नगर के इलाके को चुना था, जहां पर लगभग 60 साल पुराने 29000 पेड़ मौजूद हैं। सरकारी बंगले बनाने के लिए इन पेड़ों को काटा जाना था। जब पब्लिक ने विरोध करना शुरू किया तो मुख्यमंत्री डॉ मोहन भागवत ने कहा कि पेड़ों को काटा नहीं जाएगा बल्कि उनका ट्रांसप्लांटेशन किया जाएगा। भोपाल की पब्लिक को यह समाधान मंजूर नहीं था इसलिए प्रदर्शन निरंतर जारी रहे। रविवार को जब केंद्रीय मंत्री बने मध्य प्रदेश के नेता शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया का रोड शो निकल रहा था तब भी लोगों ने उनके सामने प्रदर्शन किया।  और आखिरकार प्रदर्शनकारियों की जीत हुई और सरकार को उनके सामने झुकना पड़ा और अपना फैसला वापस लेना पड़ा। भोपाल के पर्यावरण प्रेमियों की यह जीत अन्य क्षेत्रों के पर्यावरण प्रेमियों के लिए एक मिसाल बन सकती है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular