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बच्चों में हिंसा और आक्रामकता बढ़ाने वाले खिलौनों को लेकर मध्यप्रदेश सरकार का बड़ा फैसला

बच्चों में आक्रामकता और हिंसक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाले खिलौनों का प्रदेश में निर्माण नहीं किया जाएगा। इस तरह के खिलौने बनाने वाले उद्योगों को राज्य सरकार हतोत्साहित करेगी।

भोपाल मध्य प्रदेश: बच्चों में बढ़ रही हिंसा और आक्रामक प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। ज्यादातर देखा गया है कि छोटे बच्चों के मन पर प्रभाव डालने वाले ऐसे कई साधन उपलब्ध है जो उन्हें हिंसक बनाते हैं और इसमें खिलौने भी शामिल हैं। बाज़ार में ऐसे कई हिंसक। प्रवृत्ति को उकसाने वाले खिलौने उपलब्ध हैं और अब मध्य प्रदेश सरकार ने इस क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन लाने का प्रयास किया है। रिपोर्ट के मुताबिक अब मध्य प्रदेश में ऐसे खिलौने जो बच्चों में हिंसा और आक्रामक तक को बढ़ा सकते हैं उन पर रोक लगाने की तैयारी कर ली है। 

बच्चों में आक्रामकता और हिंसक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाले खिलौनों का प्रदेश में निर्माण नहीं किया जाएगा। इस तरह के खिलौने बनाने वाले उद्योगों को राज्य सरकार हतोत्साहित करेगी। उन्हें अनुदान नहीं दिया जाएगा। वहीं सकारात्मकता और रचनात्मकता को बढ़ावा देने वाले खिलौनों के निर्माण को प्रोत्साहित किया जाएगा। सामाजिक सुधार की दिशा में राज्य सरकार शीघ्र आवाश्यक उपाय करने जा रही है। दरअसल, सरकार का मानना है कि बच्चों में आक्रामकता फैलाने वाले खिलौनों के कारण हिंसक प्रवृत्ति बढ़ रही है। इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।

पिछले दिनों सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम विभाग की परामर्शदात्री समिति की बैठक में यह विषय आया था। वहां एमएसएमई मंत्री चेतन्य कुमार काश्यप ने आक्रामकता और हिंसक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाले खिलौनों के निर्माण को हतोत्साहित कर सकारात्मक, रचनात्मकता को बढ़ावा देने वाले खिलौने के निर्माण को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया था। यदि मध्य प्रदेश सरकार की यह मंशा कामयाब होती है तो यक़ीन मानिए कि बच्चों में बढ़ रही हिंसक प्रवृत्ति को कुछ हद तक रोका जा सकता है।

प्रदेश में इंदौर के ग्राम रंगवासा और सीहोर के बुदनी में खिलौना क्लस्टर को सरकार प्राथमिकता में रखते हुए प्रोत्साहित कर रही है। मध्य प्रदेश में रोजगार के अवसर सृजित करने के उद्देश्य से इन दोनों ही औद्योगिक क्षेत्रों में खिलौना क्लस्टर स्थापित किया जा रहा है। सरकार का मानना है कि आम आदमी आत्मनिर्भर बनेगा, तभी मध्य प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता हैं। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में खिलौने बेचने वालों को कम कीमत पर लकड़ी उपलब्ध कराई जा रही है और उनके लिए रोजगार का प्रबंध करने का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। दोनों क्लस्टर शासकीय भूमि पर संचालित हैं और वर्तमान में स्थापनाधीन हैं।

बुदनी के लकड़ी के खिलौनों की मांग अधिक है। यहां के खिलौनों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने एवं खिलौनों की कला का प्रचार-प्रसार तथा मार्केटिंग के लिए जैम पोर्टल और बड़ी कंपनियों से बात की जा रही है। साथ ही ऐसे खिलौने निर्माताओं को हतोत्साहित किया जाएगा जो हिंसक प्रवृत्ति बढ़ाने वाले खिलौने बनाते हैं।इसके लिए उनको दिए जाने वाले अनुदान और बैंक लोन।के नियमों को भी सख्त किया जाएगा। खिलोना निर्माताओं पर पूरी तरह से निगरानी रखी जाएगी और उनको। मानकों के अनुसार ही ऐसे खिलौने बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा जो बच्चों में हिंसा और आक्रामकता के भाव को न बढाएं।

सरकार का मानना है कि प्रदेश में बन रहे खिलौना क्लस्टर के शुरू होने के बाद चीन का वर्चस्व समाप्त हो जाएगा। चीन में निर्मित खिलौनों से बेहतर सामान अब मध्य प्रदेश में ही बनेगा। विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए जरूरी है कि उत्पादों की गुणवत्ता, आज की जरूरत और नई तकनीकों के अनुरूप उत्पाद तैयार किए जाएं। उत्पादों की लागत की कमी पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। 

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