ग्वालियर। मध्य प्रदेश: मध्यप्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़झाला के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। अब एक बार फिर ग्वालियर से एक ऐसे मामले का खुलासा हुआ है जिसमें 5 आरक्षक 14वीं बटालियन एसेएफ में बाकायदा नौकरी कर रहे थे लेकिन जांच में निकल कर आया है कि उन्होंने। फर्जी आधार कार्ड के साथ सॉल्वरों को बिठाकर परीक्षा पास की थी और अब इस खुलासे के बाद ऐसे पाँच आरक्षकों पर एफ आई आर दर्ज की गई है। और इस मामले ने एक बार फिर मध्यप्रदेश। में आयोजित भर्ती परीक्षाओं में हो रही गड़बड झाला का खुलासा कर दिया है।
इस मामले में कंपू थाने में जिन 5 आरक्षकों पर एफआईआर दर्ज हुई है उसमें से 3 मुरैना। के एक शिवपुरी का और एक शोपुर का रहने वाला है। दीपक रावत पुत्र अमर सिंह रावत श्योपुर का है उमेश रावत पुत्र सुरेश रावत सबलगढ़ का है हलके पुत्र माखन रावत शिवपुरी का है इमरान पुत्र कमरुद्दीन मुरैना का है विवेक पुत्र शिवदत्त पोरसा मुरैना का है। आपको बता दें कि इस तरह के फर्जीवाड़े का यह पहला मामला नहीं है। पहले भी ग्वालियर में दो शिवपुरी मुरैना और श्योपुर में ऐसे तीन तीन आरक्षकों पर इसी तरह से फर्जीवाड़ा कर दूसरा सॉल्वर बिठाकर परीक्षा पास करने के मामले में मामला दर्ज किया जा चुका है।
फर्जीवाड़ा करने के लिए यह लोग बहुत ही फूल प्रूफ प्लानिंग के तहत योजना बनाते हैं। लिखित परीक्षा से पहले ही आधार कार्ड फिंगर प्रिंट और फोटो में अपडेट करवा लिए जाते हैं जिसमें इनकी जगह सॉल्वर का फोटो लगाया जाता है और सॉल्वर के ही फिंगरप्रिंट अपलोड करा। लिए जाते हैं। लिखित परीक्षा होने के बाद फिर आधार में फोटो और फिंगर प्रिंट अपडेट करवा। लिया जाता है और बाद में खुद का फोटो लगा। लिया जाता है लिखित परीक्षा यह सॉल्वर से पास करा। लेते हैं और फिर फिजिकल परीक्षा में खुद उपस्थित होते हैं। इस शातिर तरीके से ऐसे अभ्यार्थी लिखित परीक्षा और शारीरिक परीक्षा पास कर लेते हैं।

इस तरह का गड़बड़ झाला तब सामने आता है, जब जब लिखित परीक्षा और शारीरिक परीक्षा में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों का मिलान होता है और इसी मिलान के दौरान जब इनके आधार कार्ड में भिन्नता पाई गई और फिंगर प्रिंट में भी अंतर पाया गया तो इस मामले का खुलासा हो गया। और यह बात सामने आ गई कि जो आरक्षक एएफा बटालियन में पदस्थ हैं। उनकी जगह किसी और ने लिखित परीक्षा दी थी और इसी वजह से पुलिस मुख्यालय से यह निर्देश दिए गए। इनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए और कंपू।थाने में शिकायती आवेदन भेजा गया। इस मामले में कंपू थाने के एसआई। राघवेंद्र शर्मा ही फरियादी बने। इस मामले में कंपू थाने में एफआईआर तो दर्ज हो गई लेकिन इस बात की जानकारी आरोपी आरक्षकों को लग गई और वह पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए गायब हो गए।
