भोपाल मध्य प्रदेश: लांजी के पूर्व विधायक किशोरी समरीते ने जनसंपर्क विभाग द्वारा विज्ञापन व अन्य खर्चों में हुए गड़बड़ा को लेकर लोकायुक्त में एक याचिका दायर की थी जिसके आधार पर अब जांच शुरू हो गई है। पूर्व विधायक द्वारा लगाई याचिका में 2016। से 2025 के बीच जनसंपर्क विभाग द्वारा विज्ञापन प्रचार और इवेंट के मद। में हुए कुल व्यय को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। राज्य लोकायुक्त संगठन ने यह जांच मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश पर दर्ज की है। और इस जांच में मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग द्वारा ₹3200 करोड़ रुपए खर्च किए जाने की जांच होनी है।
पूर्व विधायक ने याचिका में यह दावा भी किया है कि इन वर्षों में विभाग ने जिन एजेंसियों और कंपनियों को कार्य सौंपा उसमें सीबीसी गाइडलाइंस और निविदा प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। पूर्व विधायक ने जिन कंपनियों के नाम सामने रखे हैं उनमें मैसर्स सुविधा। एंटरप्राइजेस मेसर्स लोटस इंटरप्राइजेस मेसर्स एपी इंटरप्राइजेज मेसर्स विजन फोर्स इंटरप्राइजेज मेसर्स व्यू एंड सोनेग मेसर्स रुद्राक्ष एंटरप्राइजेज मेसर्स विजन प्लस इंटरप्राइजेज़ शामिल हैं। इन कंपनियों द्वारा विज्ञापन प्रचार और इवेंट में जिस तरह से खर्चा किया गया है उसमें बड़े झोल की बात याचिकाकर्ता ने की है।
याचिकाकर्ता ने जो तथ्य रखे हैं उसके अनुसार 2016 से 2018 की अवधि में विजन फोर्स इंटरप्राइजेज को जनसंपर्क विभाग द्वारा 730 करोड़ का भुगतान किया गया है। लेकिन इस काम में सीवीसी गाइडलाइंस 2017 को पूरी तरह से दरकिनार किया गया है। इसी तरह जनसंपर्क विभाग ने 2019। में एक नया टेंडर जारी किया जिसमें 7 कंपनियों ने आवेदन किए और यह कार्य व्यापक इंटरप्राइजेज को सौंप दिया गया जबकि इसी कंपनी का मालिक छत्तीसगढ़ में ब्लैक लिस्ट है। ब्लैकलिस्ट व्यक्ति की कंपनी को स्टैंडर्ड दिया जाना साफ तौर पर नियम विरुद्ध है।
इसी तरह जनसंपर्क विभाग ने 2018 से अभी 2025 तक पूरे सात साल पंजीकृत कंपनियों को भी काम देना जारी रखा जो।नियमों में नहीं आता है। इन कम्पनियों को भी नियम विरुद्ध 2520 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया। इस तरह जनसम्पर्क विभाग द्वारा तमाम कंपनियों को नियम में ढील देते हुए यह नियम विरुद्ध टेंडर जारी किए गए। जनसम्पर्क विभाग के इस गड़बड़ा में अब लोकायुक्त ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। हालाँकि अभी तक किसी एजेंसी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई है लेकिन निविदा शर्तों और विभिन्न टेंडरों की जाँच के बाद ही पूरी स्थिति साफ होगी। लोकायुक्त जाँच में यदि याचिकाकर्ता इस शिकायत सही पाई जाती है तो यह मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग द्वारा अब तक किया गया एक बड़ा कारनामा होगा।